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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के महान राष्ट्रपति व वैज्ञानिक थे-यादवेन्द्र सिंह संधु

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हर्षित सैनी: रोहतक, 27 जुलाई। हरियाणा अब तक: भारत के महान राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की चौथी पुण्यतिथि पर आज शहीद भगत सिंह युवा ब्रिगेड द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष यादवेन्द्र सिंह संधु के नेतृत्व में स्थानीय हिसार रोड़ स्थित प्रदेश कार्यालय पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष सुलभ गुगनानी ने की।
      इस अवसर पर यादवेन्द्र सिंह संधु ने कहा कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के महान वैज्ञानिक व राष्ट्रपति थे। उनके कुशल नेतृत्व में देश ने बहुत तरक्की की तथा मिसाईल शस्त्रों के मामले में भारत आत्मनिर्भर बना। वे स्वयं को शिक्षक कहलाना पसन्द करते थे तथा उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के भले के लिए गुजार दिया। 
      उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति जैसे बड़े पद पर पहुंचने के बावजूद डा. कलाम ने सादगी को अपनाए रखा तथा देशवासियों के सबसे चहेते राष्ट्रपति रहे। मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले डॉ. अब्दुल कलाम ने करीब 20 सालों तक इसरो में काम किया और फिर रक्षा शोध और विकास संगठन में भी करीब 20 साल ही काम किया। 

    यादवेन्द्र सिंह संधू ने कहा कि मिसाइल मैन के नाम से दुनिया भर में पहचाने जाने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीएजे अब्दुल कलाम ने आज से ठीक चार साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, जिससे पूरा देश शोक में डूब गया था। अब्दुल कलाम का कहना था कि ‘सपने वह नहीं होते जो रात में सोते समय नींद में आएं, बल्कि सपने तो वह होते हैं जो रात भर सोने ही नहीं देते।’
     उनका कहना था कि अपनी बुलंद सोच, कठोर परिश्रम और कार्यों को लेकर दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ. अबुल पाकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम ने जब देश के 11वें राष्ट्रपति की शपथ ली तो देश के हर नागरिक ने खुशी मनाई थी। यादवेन्द्र सिंधु ने कहा कि ऐसी महान विभूति पर पूरे देश को नाज है तथा युवाओं को चाहिए कि वो उनके दिखाये सपनों को पूरा करें तथा देशहित में कार्य करें।

      सुलभ गुगनानी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। कलाम एक सामान्य वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे, जिसके चलते उन्होंने हमेशा ही अपने परिवार को छोटी-बड़ी मुश्किलों से जूझते देखा था। यही कारण था कि वह समय से पहले ही समझदार हो गए।
     उन्होंने बताया कि जब वह 19 साल के थे, तब देश द्वितीय विश्वयुद्ध की अग्नि में जल रहा था. इस दौरान वह अभियांत्रिकी की शिक्षा के लिए मद्रास पहुंचे, जहां उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमीशन लिया और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की।

      सुलभ गुगनानी ने कहा कि 1962 में वह ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ आए, जहां उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एसएलवी तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाया। मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले डॉ. अब्दुल कलाम ने करीब 20 सालों तक इसरो में काम किया और फिर रक्षा शोध और विकास संगठन में भी करीब 20 साल ही काम किया। इसके बाद उन्होंने रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में काम किया और अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाइल को स्वदेशी तकनीक से तैयार किया। 
      उन्होंने कहा कि 18 जुलाई, 2002 में कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। 25 जुलाई, 2002 को उन्होंने संसद भवन में राष्ट्रपति पद की शपथ ली और 25 जुलाई, 2007 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया। वहीं 27 जुलाई, 2015 शिलांग के आईआईएम में एक सेमिनार के दौरान वह अचानक ही गिर गए और उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि ऐसी महान विभूति को हम नमन करते हैं तथा उनके दिखाये रास्ते का अनुसरण करने की शपथ लेते हैं।
       श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से डॉ. पाले बालंद, चौधरी शरीफ, सीना पहलवान, सन्नी नाहरा, जीतू पहलवान, प्रतिमा अहलावत, कमांडो वर्मा, राजेश लठवाल, रणजीत सिंह, अंकित राणा, आनंद फौगाट, नीतू बुधवार, राजेश आदि ने डॉ. कलाम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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