बैठक का मुख्य उद्देश्य जिले में आपदा तैयारियों और प्रतिक्रिया तंत्र की समीक्षा करना था, विशेष रूप से आगामी मानसून और संभावित अन्य प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर। इस बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) से आये डिप्टी सेक्रेटरी अम्बुज बाजपई, अंडर सेक्रेटरी आर.के. मिश्रा व सीनियर कंसलटेंट शालिनी सिंह ने अपने सुझाव साझा किये।
बैठक के दौरान, निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:
आपदा कार्य योजना की समीक्षा: जिले की मौजूदा आपदा कार्य योजना की विस्तृत समीक्षा की गई और आवश्यक संशोधनों एवं अद्यतनीकरण पर सहमति बनी। इसमें विशेष रूप से बाढ़, भूकंप और अन्य स्थानीय आपदाओं के लिए विशिष्ट कार्य योजनाओं पर जोर दिया गया।
संसाधन जुटाना: आपदा की स्थिति में आवश्यक संसाधनों, जैसे राहत सामग्री, चिकित्सा उपकरण, बचाव दल और आश्रय स्थलों की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई। संबंधित विभागों को इन संसाधनों की पहचान और उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: विभिन्न विभागों और स्थानीय स्वयंसेवकों के लिए आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया गया ताकि वे किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सुसज्जित हों।
अंतर-विभागीय समन्वय: आपदा प्रतिक्रिया में सभी संबंधित विभागों के बीच बेहतर समन्वय और संचार सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया गया। मॉक ड्रिल और नियमित बैठकों के माध्यम से समन्वय को मजबूत करने का निर्णय लिया गया।
जन जागरूकता: आपदाओं से बचाव और उनके प्रभावों को कम करने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई गई। इसमें स्थानीय समुदायों को आपदा जोखिमों और उनसे बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित करना शामिल है।
अध्यक्ष महोदय ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि वे आपदा प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें। उन्होंने कहा, आपदा से पहले की तैयारी ही उसके प्रभावों को कम करने की कुंजी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा जिला किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
इस बैठक में डीआरओ विकास सिंह, सीएमओ जयंत आहूजा, डॉ. राम भगत सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।
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