Faridabad Assembly

Palwal Assembly

Faridabad Info

MCF चुनाव के 5 वर्ष पूरे, जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे अधिकतर पार्षद, दीपक चौधरी ने किया कमाल

MCF-Election-Sps-2017-2022
हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)

फरीदाबाद - 5 वर्ष पहले आज के दिन इस समय फरीदाबाद के 39 घरों पर जश्न का माहौल था। ढोल बज रहे थे, लड्डू बांटे जा रहे थे। पटाखे भी फोड़े जा रहे थे। सिर्फ एक घर में सन्नाटा छाया था वो घर था दीपक चौधरी का जो बल्लबगढ़ में रहते हैं। आज के ही दिन नगर निगम चुनाव हुए थे और लगभग सभी 40 वार्डों के रुझान आ गए थे। कई वार्डों पर उम्मीदवार इस समय तक जीत चुके थे तो कुछ वार्डों पर मतगणना अंतिम चरण पर थी और रुझान में जो उम्मीदवार आगे चल रहा था उसके घर भी जश्न मनाया जा रहा। आपको बता दें कि  फरीदाबाद नगर निगम चुनाव-2017 में कुल 40 वार्ड में 334 प्रत्याशियो ने अपना अपना राजनीतिक दांव खेला था।  जिसमे 29 पार्षद भारतीय जनता पार्टी, 06 निर्दलीय और 05 कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार जीते थे। 

भाजपा ने सिम्बल पर चुनाव लड़ा था। जो उम्मीदवार इस समय तक हार के करीब थे या हार चुके थे उनके घर पर भी सन्नाटा था। खास बात ये थी कि इस समय बल्लबगढ़ के वार्ड नंबर 37 की मतगणना जारी थी। जहाँ से दीपक चौधरी आजाद उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे।  देर रात्रि वार्ड नंबर-37 से देर रात पुनर्मतगणना के बाद निर्दलीय उम्मीदवार दीपक चौधरी को 54 मतों से विजयी घोषित किया गया था । उन्हें मतगणना के दौरान कुल 4135 मत मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी महेश गोयल को कुल 4081 मत प्राप्त प्राप्त हुए थे। 


इसके पहले भाजपा प्रत्याशी महेश गोयल के समर्थकों ने खुशी मनानी शुरू कर दी। तभी वार्ड 37 से निर्दलीय उम्मीदवार दीपक चौधरी के समर्थकों ने अग्रवाल धर्मशाला में सहायक निर्वाचन अधिकारी व एसडीएम पार्थ गुप्ता के सामने आकर नारेबाजी करने शुरू कर दी। उनके समर्थकों का कहना था कि अभी तक विधिवत रूप से घोषणा नहीं की गई। इससे पहले उन्हें जीता हुआ उम्मीदवार घोषित कैसे कर दिया। चुनाव में उनकी जीत होनी निश्चित है। इस दौरान अधिकारियों ने कहा कि यहां से किसी भी उम्मीदवार को अभी विजेता घोषित नहीं किया है। जीतने की घोषणा सेक्टर-12 लघु सचिवालय नगर निगम के निर्वाचन अधिकारी एवं अतिरिक्त उपायुक्त जितेंद्र दहिया को करनी थी। इस दौरान समर्थक गुस्से में राजमार्ग पर ट्रैफिक जाम करने के लिए चल दिए। मौके पर मौजूद पुलिस ने लाठी चार्ज करके लोगों को खदेड़ दिया। समर्थक देर रात तक वहीं पर डटे रहे। देर रात प्रशासन ने यहां पर मतगणना का काम करने के लिए दोबारा से आदेश दिया। 

सभी उम्मीदवारों के सामने मतगणना का काम पूरा किया गया। तब यहां पर दीपक चौधरी को 54 मतों से विजयी घोषित किया गया। 8 जनवरी को रात्रि तक दीपक चौधरी के कुछ कार्यकर्ता उन्हें हारा हुआ मानकर दुखी होकर सो गए थे जिन्हे सुबह पता चला कि रात्रि में उलट-पलट हो गया है और दीपक चौधरी चुनाव हारे नहीं जीत गए हैं। 
2017 में फरीदाबाद नगर निगम चुनाव में मोदी लहर जारी थी और अधिकतर ऐसे उम्मीदवार भी चुनाव जीत गए थे जो अपनी गली का चुनाव भी जीतने लायक नहीं थे। भाजपा से उन्हें टिकट मिली और बिना लड़े ही मोदी-मोदी करते चुनाव जीत गए। इस जबरजस्त लहर में दीपक चौधरी का आजाद उम्मीदवार के रूप में विजय पाना चर्चा का विषय बन गया था। बाद में वो विधानसभा चुनाव भी लड़े और भाजपा की 75 पार की लहर में भी लगभग 20 हजार वोट झटक लिए और बल्लबगढ़ के जाने माने नेता कहे जाने लगे। कई वर्षों से की जा रही समाजसेवा उनके काम आई। 

मोदी लहर में तमाम नेता जैसे पार्षद बने थे वैसे ही उन्होंने अपने वार्डों का विकास भी किया जिस कारण फरीदाबाद को नरक सिटी की उपाधि मिलने लगी और नगर निगम को शहर के 90 फीसदी लोग नरक निगम कहने लगे। फरीदाबाद स्मार्ट सिटी घोषित किया गया था और सरकार ने काफी पैसे भी दिए लेकिन शहर दिन-प्रतिदिन नरक में तब्दील होता गया। मेयर, डिप्टी मेयर और कुछ पार्षदों ने पांच साल में शहर के लिए क्या किया वो खुद नहीं बता सकते। नगर निगम सदन की नाम मात्र बैठकें हुईं। बैठकों के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। इसी कार्यकाल में निगम के सैकड़ों करोड़ के घोटाले भी हुए और बड़ी बात ये है जहाँ अधिकतर पार्षद इन घोटालों पर खामोश रहे इस घोटाले को भी दीपक चौधरी ने ही उठाया था। मेहनत से पार्षद बने थे शायद इसलिए लूट खसोट बर्दाश्त नहीं हुई। जो बिना मेहनत के पार्षद बने थे उन्होंने खामोश रहना ही उचित समझा। 

5 वर्ष हो गए। नगर निगम चुनाव टल गया है। कब होगा कोई पता नहीं। शहर की हालत नरकीय होती जा रही थी लेकिन निगमायुक्त यशपाल यादव ने एक महीने में हालात काफी बदल दिया। शहर के तमाम पार्षदों के कामकाज पर जनता सवाल उठा रही है और जब भी निगम चुनाव होंगे जनता इन्हे आइना दिखाएगी। 

40 में से लगभग 10 पार्षद ही जनता की कसौटी पर कुछ खरे उतरे हैं। 30 पार्षदों पर जनता ने नकारा पार्षद का ठप्पा जड़ दिया है। कारण बताया जा रहा है कि शहर को नरक बनाने में सबसे ज्यादा इन्ही पार्षदों का योगदान है। अगर कामकाज नहीं हो रहा है तो इन पार्षदों को सवाल उठाना चाहिए लेकिन ये ऐसा नहीं करते और इन सबने ऐसे नहीं किया। इन्होने कभी नहीं जानना चाहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर अब तक शहर में कितना पैसा आया, केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से कितना आया। कितना आया और कहाँ लगा। इन्हे कुछ पता नहीं। ये सब नाम के पार्षद साबित हुए इसीलिये फरीदाबाद नरक में तब्दील हो गया। अधिकतर सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। आधे घंटे की बारिश के बाद शहर के कई क्षेत्रों का संपर्क दूसरे क्षेत्र से कट जाता है। जैसे की आज पर्वतीय कालोनी 60 फ़ीट रोड पर देखा गया। शहर में एक महामारी ने फिर पांव पसार लिया है। अगर पर्वतीय कालोनी में कोई ज्यादा बीमार हो और एम्बुलेंस की जरूरत पड़े तो उस रास्ते पर एम्बुलेंस जा नहीं सकती, जब उस सड़क प[र ट्रक और ट्रैक्टर नहीं चल पा रहे हैं। ऐसे में उधर के हजारों लोग राम भरोशे हैं। बड़ी बात ये है कि उस क्षेत्र के कई पार्षद भाजपा के हैं जो मोदी लहर में 2017 का चुनाव जीते थे। 
अब शायद एक महीने बाद शहर के सभी पार्षद पूर्व पार्षद हो जाएँ। ऐसे में नगर निगम कमिश्नर यशपाल यादव पर बड़ी जिम्मेदारी है। उनका अभियान जारी रहा तो शहर का काफी भला हो जाएगा। अभियान ढीला पड़ा तो शहर फिर नरक सिटी कहा जाएगा। 
फेसबुक, WhatsApp, ट्विटर पर शेयर करें

Faridabad News

Post A Comment:

0 comments: