20 नवम्बर 2020- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा-खट्टर सरकार ने 2019 लोकसभा चुनाव से पूर्व वोट हडपने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सरकारी कालेज तो खोल दिये, पर इन सरकारी कालेजों में आज तक न तो भवन, शिक्षा, लाईब्रेरी व अन्य आवश्यक सुविधाओं का आधारभूत ढांचा है और न ही पर्याप्त शिक्षक है। विद्रोही ने कहा कि इसी का साईड इफेक्ट यह है कि वर्ष 2020-21 शिक्षा कोर्सो में ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश सरकारी कालेजों में 40 से 97 प्रतिशत सीटे खााली पड़ी है। डीजी हॉयर एज्यूकेशन ने वीडियो कान्फ्रेस करके 68 कालेजों में छात्र कम होने का कारण प्राचार्यो से पूछा है। इन सरकारी 68 कालेजों में अधिकांश कालेज ग्रामीण क्षेत्र के है।
विद्रोही ने कहा कि आधरभूत ढांचा व शिक्षकों के अभाव में छात्र-छात्राएं अपने पास के ग्रामीण सरकारी कालेजों के प्रवेश लेने की बजाय अच्छी शिक्षा के लिए शहर-कस्बो के कालेजों की ओर भाग रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश सरकारी कालेजों के विभिन्न कोर्सो में स्वीकृत सीटों में से 40 से 97 प्रतिशत सीटे खाली होना जीवंत प्रमाण है कि ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी कालेजों में शिक्षा का मूलभूत ढांचा नही है वरना कोई भी अभिभावक अनावश्यक धन खर्च करके अपने बच्चों को अपने गांव व गांव के पास के कालेज में दाखिला दिवालने की बजाय शहरों के कालेजों में क्यों भेजेंगे?
विद्रोही ने कहा कि जमीनी धरातल की वास्तविता यह है कि विगत 6 सालों में खट्टर सरकार ने शिक्षा के नाम पर जुमलेबाजी की, सरकारी स्कूल-कालेज तो खोले पर इनमें शिक्षा का मूलभूत आधारभूत ढांचा, भवन, प्रयोगशाला, लाईब्रेरी जैसी आवश्यक सुविधाएं व पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था नही की, जिस कारण हरियाणा के सरकारी कालेजों में शिक्षा का ढांचा चरमरा चुका है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से आग्रह किया जुमलेबाजी करने की बजाय सरकारी कालेजों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी कालेजों का शिक्षा का मूलभूत ढांचा उपलब्ध करवाने के लिए पर्याप्त बजट व शिक्षक उपलब्ध करवाये।
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