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हरियाणा बजट: जानें मनोहर के पिटारे से क्या-क्या निकला 

Haryana Budget 2020
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चंडीगढ़, 28 फरवरी - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज कहा कि राज्य सरकार ने कृषि को भविष्योन्मुखी बनाने तथा किसान की आय को दुगुनी करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्घता को पूरा करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण गतिविधियों के लिए इस वर्ष 6481.48 करोड़ रुपये आबंटित करने का प्रस्ताव है जोकि गत वर्ष के बजट आबंटन से 23.92 प्रतिशत अधिक है। 
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज यहां हरियाणा विधान सभा के बजट सत्र के दौरान बतौर वित्त मंत्री राज्य का वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण गतिविधियों के लिए किए गए कुल आबंटन में से कृषि क्षेत्र के लिए 3364.90 करोड़ रुपये का प्रावधान है। 
उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिए अधिक से अधिक मात्रा में फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के प्रयास किए जा रहे हैं। ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ के ई-खरीद पोर्टल पर किसानों के पूर्व-पंजीकरण की प्रक्रिया अब काफी प्रचलित हो गई है। राज्य में कृषि उत्पादन के विपणन के लिए सिस्टम लिंकेज को सुचारू, पारदर्शी और किसान-हितैषी बनाने के उद्देश्य से 54 मंडियों को ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) योजना के साथ भी जोड़ा गया है। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा पिंजौर में सेब मंडी, गुरुग्राम में फूल मंडी और सोनीपत में मसाला मंडी जैसी वस्तु विशिष्ट मंडियां विकसित की जा रही हैं। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के जोखिम को कम करने तथा उन्हें नवीन एवं आधुनिक कृषि पद्धतियां अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत, पिछले तीन वर्षों में किसानों को क्लेम के रूप में 2097.94 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है, जो बीमा कम्पनियों को अदा किए गए 1672.99 करोड़ रुपये के प्रीमियम से काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों के लिए अब इस योजना को स्वैच्छिक कर दिया है। राज्य को योजना के क्रियान्वयन में बढ़ाए गए अधिकार से यह योजना और अधिक कारगर सिद्ध होगी। वर्ष 2020-21 से राज्य सरकार कृषि व किसान कल्याण विभाग के प्रत्येक खण्ड कार्यालय में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधि की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी ताकि किसानों के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सम्बन्धित सभी कार्य ब्लॉक स्तर पर ही पूरे हो सकें। उन्होंने कहा कि सरकार ‘‘प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना‘‘ को भविष्य में ट्रस्ट मॉडल की रूपरेखा पर चलाने के बारे में भी गंभीरता से विचार कर रही है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने ‘मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना’ के तहत भी किसानों के फसल बीमा प्रीमियम का भुगतान करने का प्रावधान किया है। 
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा भूजल प्रबंधन और संरक्षण गतिविधियों में सुधार लाने के उद्देश्य से ‘अटल भूजल योजना’ के नाम से एक नई योजना शुरू की गई है। भूजल प्रबंधन और संरक्षण गतिविधियां क्रियान्वित करने के लिए राज्य द्वारा पानी की कमी वाले 36 खण्डों की पहचान की गई है। साथ ही, इस कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए शीघ्र ही एक नया कानूनी ढांचा भी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को फसलों के लिए लाभप्रद मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ‘भावान्तर भरपाई योजना’ के नाम से एक योजना शुरू की गई है। इसमें 10 फलों एवं सब्जियों नामत: टमाटर, प्याज, आलू, फूलगोभी, गाजर, मटर, बैंगन, अमरूद, शिमला मिर्च, किन्नू तथा तीन फसलों नामत: सरसों, बाजरा और सूरजमुखी को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत 360477 किसानों को लगभग 309.53 करोड़ रुपये की राशि दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग रोकने के लिए सरकार ने 2015-17 के दौरान पहले चरण में 45.21 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड और 2017-19 के दौरान दूसरे चरण में लगभग 36.36 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए हैं। राज्य की सभी मंडियों में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना करने के लक्ष्य पर चलते हुए 2019-20 में विभिन्न सरकारी भवनों व मंडियों में कुल 111 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं। अब सॉयल हैल्थ कार्ड को ‘‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा‘‘ पोर्टल से भी जोड़ा जाएगा। सॉयल हैल्थ कार्ड में दी गई सिफारिश के आधार पर जिन किसानों द्वारा फसल की बिजाई की जाएगी, उन्हें 50 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 11 लाख एकड़ भूमि लवणीय व जलभराव की समस्या से प्रभावित है। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए वर्ष 2020-21 में इस समस्या से ग्रस्त एक लाख एकड़ भूमि को सुधारने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए इस कार्य को मिशन मोड में पीपीपी के तहत बढ़ावा दिया जाएगा। 

मनोहर लाल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत सरकार ने नई कृषि पद्धतियों और मशीनरी के माध्यम से फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक अभियान चलाया है। 1637 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से इस वर्ष 5225 किसानों को रियायती दरों पर कृषि मशीनरी प्रदान की गई। किसानों के सक्रिय सहयोग से प्रदेश में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है। वर्ष 2018-19 की तुलना में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में 35.32 प्रतिशत की कमी आई है। अब राज्य सरकार ने खेत में फसल अवशेषों का प्रबंधन करने वाले किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है।  
कृषि क्षेत्र के लिए वर्ष 2020-21 में उठाए जाने वाले जिन नए महत्वपूर्ण कदमों के लिए बजट प्रावधान किया गया है उनका जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सतत कृृषि विकास के लिए राज्य में जैविक व प्राकृतिक खेती का क्षेत्र बढ़ाना बहुत आवश्यक है। अगले महीने अल्प बजट प्राकृतिक खेती पर आयोजित की जा रही एक राज्यस्तरीय कार्यशाला में राज्य भर के प्रगतिशील किसानों से विस्तृत चर्चा उपरान्त एक कार्य योजना तैयार की जाएगी। अगले तीन वर्ष में एक लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक व प्राकृतिक खेती का विस्तार किया जाएगा। इसके लिए उपयुक्त धनराशि का प्रावधान किया गया है। हरियाणा की सभी बड़ी मण्डियों में क्रॉप ड्रायर लगाए जाएंगे ताकि किसानों को फसल उत्पाद सुखाने में कोई परेशानी न आए एवं उनको फसलों का पूरा भाव बिना किसी कट के मिल सके। इसके अतिरिक्त, हरियाणा की सभी सब्जी मण्डियों में महिला किसानों के लिए अलग से 10 प्रतिशत स्थान आरक्षित किया जाएगा और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए किसान कल्याण प्राधिकरण में विशेष महिला सैल की स्थापना की जाएगी।
इसीप्रकार, गोदामों में चोरी की समस्या को रोकने के लिए, राज्य के भण्डारण निगम, हैफेड, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग इत्यादि के सभी गोदामों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इस वर्ष 52 गोदामों में कैमरे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। शेष गोदामों को अगले चरणों में लिया जाएगा। जिन प्रगतिशील किसानों ने फसल विविधिकरण को अपनाया है, उन्हें मास्टर ट्रेनर के रूप में चयनित किया जाएगा। इन मास्टर ट्रेनर्स को दूसरे किसानों को फसल विविधिकरण के लिए सफलतापूर्वक प्रोत्साहित करने पर पुरस्कृत किया जाएगा। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त, इस समय ब्याज मुक्त ऋण सुविधा केवल सहकारी संस्थाओं से लिए गये ऋणों पर उपलब्ध है और इसकी सीमा 1.5 लाख रुपये है। उन्होंने कहा कि अब ब्याज रहित ऋणों की सुविधा उन किसानों को भी मिलेगी जो किसी भी राष्ट्रीयकृृत बैंक या सहकारी बैंक से प्रति एकड़ 60 हजार रुपये तक का, अधिकतम 3 लाख रुपये तक का फसली ऋण लेते हैं। उन्होंने कहा कि इस सुविधा के लिए तीन शर्तें होंगी -पहली-किसान निर्धारित समय पर ऋण की अदायगी करे, दूसरी-किसान मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर लिए गये सभी सहकारी ऋणों को घोषित करे और तीसरी-यह कि फसल के खरीद मूल्य में से ऋण की सीमा तक की अदायगी खरीद एजेंसी द्वारा सीधे उस संस्था के खाते में जमा करवाई जाएगी, जिससे किसान ने ऋण लिया हुआ है। उन्होंने कहा कि एक किसान दूसरे किसानों के कृषि उपकरणों जैसे ट्रैक्टर, रोटावेटर, कंबाइन हारवेस्टर इत्यादि का उपयोग कर सके, इसके लिए किसान कल्याण प्राधिकरण द्वारा एक मोबाइल ऐप बनाई जाएगी। हरियाणा के विद्यालयों और महाविद्यालयों के विज्ञान के विद्यार्थियों को मिट्टी व जल परीक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें प्रमाण पत्र दिया जाएगा ताकि यदि वे चाहें तो अपने प्राध्यापक की देख-रेख में मिट्टी व जल परीक्षण का काम एक प्रमाणित व्यवसायी के रूप में कर सके। 
इसके अतिरिक्त, एग्रीकल्चर मैकेर्नाइंजेशन स्कीम के अन्तर्गत विभाग द्वारा कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि यन्त्रों पर अनुदान उपलब्ध करवाया जा रहा है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी पात्र छोटे व सीमान्त किसानों को मशीनों व कृषि यन्त्रों पर अनुदान वर्ष 2021-22 तक बिना लाटरी के उपलब्ध हो। साथ ही, कृषि उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए छोटे कृषि उपकरणों के निर्माताओं को भी सब्सिडी दी जाएगी। फसल अवशेषों के स्थल पर तथा दूसरे स्थान पर प्रबंधन हेतु एक व्यापक प्रबंधन योजना तैयार की गई है। इसके तहत सभी प्रभावित जिलों के हर ब्लॉक में पराली खरीद केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। सरकार ने निर्णय किया है कि हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग को आदेश देकर ’’विशेष कृषि आधारित गतिविधियों’’ के नाम से एक नई कैटेगरी बनवाई जाएगी, जिसमें 7.50 रुपये प्रति यूनिट की बजाय 4.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाएगी। इस कैटेगरी में पैक हाउस, ग्रेडिंग, पैकिंग, प्रीकूलिंग तथा राइपनिंग चैबंर, मधुमक्खी पालन, शहद प्रसंस्करण, टिशू कल्चर, झींगा एवं मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, सूअर पालन, बल्क दूध शीतकरण तथा एफपीओ द्वारा स्थापित 20 किलोवाट लोड तक के कोल्ड स्टोर आदि शामिल होंगे। ऐसे हजारों किसानों का अब बिजली का बिल 2.75 रुपये प्रति यूनिट कम हो जाएगा। 
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