चंडीगढ़, 29 नवंबर- हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल ने कहा कि पिंजौर में लगभग 78 एकड़ में बनने वाली आधुनिक सेब मंडी से एक ओर जहां हरियाणा का आर्थिक विकास होगा वहीं हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के सेब किसानों को भी लाभ पहुंचेगा।
जे.पी.दलाल आज यहां पिंजौर में आधुनिक सेब और फल एवं सब्जी मंडी के लिए आयोजित विभिन्न हितधारकों द्वारा परामर्श बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में सेब मंडी के आधारभूत संरचना, आधुनिक तकनीक और अन्य प्रकार की सुविधाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पहले ही पंचकूला के सेक्टर-20 में 3 एकड़ में सेब मंडी बनाई गई थी, परंतु सेब के सीजऩ के दौरान जगह की कमी और अन्य समस्याएं का सामना करना पड़ता है। इसलिए पिंजौर में पहली सबसे बड़ी सेब मंडी बनाने के निर्णय से हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तर भारत के अन्य प्रांतों के किसानों, व्यापारियों, लॉजिस्टिक सुविधाएं प्रदान करने वालो को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा होगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश और जम्मू से आने वाले सेबों को दूर-दराज स्थानों जैसे दिल्ली, बैंगलोर और चेन्नई के कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है, जिससे परिवहन में अत्याधिक खर्च तो होता ही है साथ ही फलों व सब्जियों की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। इसलिए पिंजौर की सेब मंडी इन तमाम समस्याओं का समाधान करेगी।
श्री जे पी दलाल ने कहा कि प्रदेश और अन्य प्रांतों में कॉल्ड स्टोरेज की क्षमता कम होने के कारण ज्यादातर सब्जियां और फल बर्बाद हो जाते हैं, इसलिए इस सेब मंडी या प्रदेश की अन्य मंडियों के साथ ही किसी प्रकार की प्रोसैसिंग यूनिट लगाने पर भी विचार किया जाए ताकि उत्पादन के बाद इन्हें लंबे समय तक रखने की आवश्यकता न पड़े और अंतिम उत्पाद भी जल्द बनकर तैयार हो जिससे मार्केट में हर चीज की उपलब्धता बनी रहेगी। अपने संबोधन में कृषि मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में गन्नौर में अंतरराष्ट्रीय सब्जी मंडी बनाने का निर्णय लिया गया था कि जिसके लिए लगभग 400 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है। इसके अलावा, गुरुग्राम में फूलों की मंडी और सोनीपत में मसालों की मंडी तैयार की जाएगी।
उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य के अस्तित्व में आने से लेकर आज हरियाणा देश में कृषि के क्षेत्र में प्रगतिशील राज्य है। इसके साथ ही बागवानी और मंडियों के आधारभूत संरचना के लिए भी आज हरियाणा देश में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि सब्जी और फलों के लिए आधुनिक मंडियां तैयार हों और किसानों की आमदनी बढ़े, इस लक्ष्य की ओर हम बढ़ रहे हैं।
बैठक में बताया गया कि हिमाचल प्रदेश में लगभग 5 लाख टन और जम्मू में लगभग 18 लाख टन सेबों का उत्पादन होता है जिनका पिंजौर से होते हुए दिल्ली के माध्यम से पूरे देश में वितरण होता है। इसलिए पिंजौर में सेब मंडी बनने से प्रत्यक्ष तौर पर हिमाचल प्रदेश और जम्मू के किसानों को लाभ मिलेगा। बैठक में विकसित देशों की फल मंडियों के मॉडल पर भी चर्चा की गई ताकि उन तकनीकों का उपयोग करके पिंजौर की सेब मंडी को आधुनिक बनाया जा सके।
इस कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक डॉ. जे. गणेशन, बागवानी के महानिदेशक डॉ. अर्जुन सिंह सैनी, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, जम्मू, महाराष्ट्र, बेंगलुरु, भोपाल के किसानों, व्यापारियों, कॉल्ड स्टोरेज बनाने वाली कंपनियों के साथ-साथ विदेशों से भी फल मंडियों में लॉजिस्टिक सुविधाएं प्रदान करने वाले व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
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