3 अगस्त 2019 : स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि राजनीतिक व सामाजिक विश्लेषक होने के नाते मेरा मानना है कि आज हरियाणा में अक्टूबर 2009 विधानसभा चुनाव जैसी परिस्थितियों पर कांग्रेस के दिशाहीन नेतृत्व के कारण विपक्ष इन परिस्थितियों को राजनीतिक रूप से भूनाने में अक्षम है। विद्रोही ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2009 में हरियाणा में कांग्रेस ने नो लोकसभा सीटे जीतकर 59 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी और कांग्रेस द्वारा नो सीटे जीतने पर विपक्ष के नेता धडाधड़ कांग्रेस में शामिल हो रहे थे। विपक्ष के नेताओं व कार्यकर्ताओं के कांग्रेस में शामिल होने व लोकसभा चुनावों में नो सीटों पर मिली जीत से उस समय का हरियाणा कांग्रेस नेतृत्व भी इसी तरह बोरा रहा था जैसे आज 10 लोकसभा सीटे जीतने व 79 विधानसभा क्षेत्रों मेें बढ़त हासिल करकेे मुुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर व भाजपा नेता बोरा रहे है। विद्रोही ने कहा कि 2009 में भी मैंने उस समय के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व को चेताया था कि ज्यादा मत इतराओ, अक्टूबर 2009 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40-45 से ज्यादा सीटे नही मिलने वाली।
आज भाजपा नेतृत्व भी 75 से ज्यादा सीटे जीतने का दावा कर रहा है। जिस तरह प्रदेश के चुनावबाज, सत्तालोलूप अवसरवादी नेता, कार्यकर्ता धड़ाधड़ भाजपा में शामिल हो रहे है, उससे भाजपा नेतृत्व और भी ज्यादा इतरा रहा है। पर कांग्रेस की तरह भाजाा नेता व मुख्यमंत्री खट्टर जी भूल गए कि विधायक बनने व सत्ता मलाई खाने की चाह में भाजपा में धडाधड शामिल हो रहे अवसरवादी, सिद्धांतहीन नेता क्या टिकट न मिलने पर भाजपा में टिक पायेंगे। विद्रोही ने कहा कि मेरा आंकलन है कि टिकट बटवारे के बाद भाजपा में जबदरस्त अंतरकलह होगा, भगदड़ मचेगी और भाजपा की वर्तमान हवा ध्वस्त होगी। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि 2009 में औमप्रकाश चौटाला की तरह मजबूत विपक्ष की बजाय आज बिखरी कांग्रेस विपक्ष के रूप में भाजपा को कड़ी चुनौती देने में सक्षम नजर नही आ रही है। विद्रोही ने कहा कि कांग्रेसी भाजपा को तो चुनौती तब देंगे जब उन्हे आपस में लडने व अपने हाईकमान को सही फैसला लेने को मनाने से फुर्सत मिले।
विगत ढाई माह से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिना कोई व्यवस्था किये त्याग पत्र देकर कोपभवन में बैठे है और कांग्रेसी नया अध्यक्ष चुनकर भाजपा के खिलाफ मजबूती से लडने की बजाय नेतृत्व की जी-हजूरी करने में जुटे है। लोकसभा चुनावों में जहां भाजपा को 22 करोड़ मतदाताओं ने वोट दिया है जो वहीं कांग्रेस को भी 12 करोड़ वोट मिले है। हरियाणा में भी 28 प्रतिशत मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया है। यदि कांग्रेस देशभर में मिले 12 करोड़ मतों व हरियाणा में 28 प्रतिशत मतों को आधार बनाकर कांग्रेस संगठन मजबूत करके प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाती तो परिस्थितियां कांग्रेस के पक्ष में होती और भाजपा को कडी चुनौती मिलती। विद्रोही ने कहा कि यदि कांग्रेस नेतृत्व दिशाहीन नही होता तो हरियाणा में कांग्रेस भाजपा को चुनौती देकर 2009 जैसी राजनीतिक परिस्थितियां बना सकती थी। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के व्यवहार से लगता है कि हरियाणा, महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने आत्मसम्पर्ण कर चुका है जो एक विपक्षी दल व लोकतंत्र दोनो के लिए दुखद स्थिति है।
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