कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, पलवल के उपनिदेशक विरेंद्र देव आर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठï द्वारा गठित की गई टीमों के प्रयासों से इस साल 28 अक्तूबर तक पराली जलाने के मामलों में पिछले साल के मुकाबले करीब 41 प्रतिशत तक की कमी आई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल 28 अक्तूबर तक हरसेक द्वारा पराली जलाने की 49 लोकेशन भेजी गई थी, वहीं इस साल 28 अक्तूबर तक 29 लोकेशन ही पराली जलाने की भेजी गई हैं।
उन्होंने बताया कि हरसेक पर आगजनी की लोकेशन मिलने पर जिला प्रशासन की ओर से संबंधित किसान के खिलाफ जुर्माना लगाने के साथ-साथ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से किसानों को फसल अवशेष व पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
जिला उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठï ने किसानों का आह्वान किया है कि वे फसल अवशेष व पराली को जलाने की बजाए इनका उचित प्रबंधन कर सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत मुनाफा कमाएं। जिला प्रशासन की ओर से किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों और सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी वाली मशीनों के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि किसान फसल अवशेष व पराली जलाने की बजाए इनका उचित प्रबंधन कर कमाई कर सके।
गठित टीमें रख रही निगरानी
उन्होंने बताया कि पलवल जिला में संबंधित एसडीएम की देखरेख में रैड जोन व यैलो जोन सहित जिन गांवों में धान की फसल बोई गई है, उन गांवों में गांव अनुसार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों, गांव के पटवारी, ग्राम सचिव, नोडल अधिकारियों, राजस्व व पंचायत विभाग के अधिकारियों, पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की इंफोर्समेंट, सुपरविजन व मॉनिटरिंग के लिए ड्यूटी निर्धारित की गई है, जो लगातार निगरानी रखने के साथ-साथ किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक भी कर रहे हैं।
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