वही बड़े आश्चर्य की बात है कि सुशासन का दावा करने वाली हरियाणा सरकार में कई विभागों के सभी श्रेणियों के कर्मचारियों का दिसंबर मॉस का वेतन ई-पोस्टिंग पर स्वीकृत पदों की 80 प्रतिशत पूर्ती ना होने के कारण रोक दिया गया है1 और निकट भविष्य में वेतन निकलने के कोई आसार भी नजऱ नहीं आते बड़ी विचित्र विडंबना है कि किसी की गलती का खामियाजा सभी कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है विद्रोही ने कहा अनगिनत कर्मचारी हैं
जिन्होंने या तो विभाग से अथवा अन्य बेंकों से मकान के लिए या अन्य किसी कारण से लोन लिया हुआ है ,जिसकी मासिक किश्त लगभग मॉस के प्रथम सप्ताह में संबंधित बैंकों को देनी होती है ऐसे सभी कर्मचारी बड़ी विकट समस्या से जूझ रहे है क्योंकि समय पर किश्त ना दे पाने के कारण उन पर किश्त के ब्याज का अतिरिक्त बोझऔर पडेगा1 इसी के साथ शिक्षा विभाग के सभी श्रेणी के अध्यापकों पर शिक्षा विभाग की गाज गिरी हुई है1
जिनसे इस कडाके की सर्दी में शरद अवकाश घोषित किये जाने के बावजूद 10वीं और 12वीं की बोर्ड कक्षाओं को पढ़ाने की आड़ में परिवार पहचान पत्र का कार्य करवाया जा रहा है1 जिसका सभी वर्ग के अध्यापकों द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा है1 और सभी वर्ग के कर्मचारियों में बहुत भारी रोष व्याप्त है1 किन्तु मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा सभी अध्यापकों पर इस कार्य को पूरा करने का दबाव बनाया हुआ है1
विद्रोही ने कहा एक और वेतन ना मिल पाने और दूसरी और कडाके की सर्दी में परिवार पहचान पत्र के कार्य को पूरा करने को लेकर सभी शिक्षक मानसिक रूप से परेशान हैं1 सवाल उठता है मानसिक रुप से परेशान अध्यापक, कर्मचारी कैसे ओर कितना काम कर पा रहे होंगे1 मुख्यमंत्री महोदय को चाहिए कि वे अपने सभी कर्मचारियों का वेतन समय पर निकलवाने के तत्काल आदेश जारी करें1 खैर सरकार कि करनी और कथनी के अंतर का इस प्रदेश की जनता को भली भांति पता है1
अगस्त 2022 में शिक्षा विभाग द्वारा किये गए शिक्षकों व् प्राचार्यों के तबादलों में प्रत्येक जिले के काफी स्कूलों में कम छात्र संख्या का हवाला देते हुए उन पदों को केपट श्रेणी में रख दिया गया जिस कारण बहुत से शिक्षकों तथा प्राचार्यों/मुख्याध्यापकों को अपने गृह जिले से दूर जाना पडा1
किन्तु अभी हाल ही में जारी प्राचार्यों कि पदोन्नति सूची में उन्ही विद्यालयों में प्राचार्यों के पदों को रिक्त स्थान में दर्शाया गया है जिन्हें अगस्त मॉस में हुए तबादलों के दौरान कम छात्र संखा का हवाला देते हुए केपट की श्रेणी में रखा गया था1
विद्रोही ने मुख्यमंत्री से मांग कि वे इन सभी विसंगतियों को तत्काल प्रभाव से दूर करवाएं और केवल दोषी को दण्डित करें ना कि सभी को एक लाठी से हाके1 छात्रो की सलाना बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए अध्यापकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से दूर रखे ताकि वे बच्चों की पढ़ाई अच्छे ढंग से करवाने की अपनी पहली प्राथमिकता को सही रुप से निभा सके1 विद्रोही ने मुख्यमंत्री व सरकार न भूलें अध्यापकों की प्राथमिक जबाबदेही, जिम्मेदारी छात्रों को समुचित, प्रभावी, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की हे न कि सरकार की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं, एजेंडे की पूर्ति के लिए अध्यापन कार्य छोडक़र अन्य सरकारी कामों की बेगार करना1
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