11 फरवरी 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि एक ओर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर जी हरियाणा में बुजुर्गो की मासिक पैंशन का सरलीकरण का दावा कर रहे है, वहीं जमीनी हकीकत यह है कि बुजुर्गो को समय पर बुढ़ापा पैंशन नही मिलने से बहुत से निराश्रित व बुढापा पैंशन पर निर्भर बुजुर्ग परेशान है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर जी से पूछा कि भाजपा सरकार विगत सात साल में पुख्ता व्यवस्था करने में असफल क्यों रही है कि बुजुर्ग सम्मान भत्ता, दिव्यांग पैंशन, विधवा पैंशन पात्र लाभार्थियों को हर माह एक निश्चित समय पर मिल मिले। प्रदेश के लाखों बुजुर्ग, दिव्यांग व विधवा महिलाएं सरकार से मिलने वाली पैंशन पर आश्रित है। ऐसी स्थिति में समय पर पैंशन न मिलनेे से इनकी क्या स्थिति होगी, यह बताने की जरूरत नही। सामाजिक सरोकारों की योजनाओं के प्रति किसी भी सरकार को अधिक गंभीर व ईमानदार होने की जरूरत है। बुढ़ापा, दिव्यांग, विधवा पैंशन बेशक 2500 रूपये मासिक ही क्यों न हो, पर इन लोगों के लिए यह छोटी सी राशी बहुत बड़ा सहारा है। इनको समय पर यह पैंशन न मिलने से इनके जीवन के दैनिक खर्चे चलाने का बजट डगमगा जाता है।
विद्रोही ने कहा कि हालांकि मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि 1 मार्च 2022 से हरियाणा में जो व्यक्ति 60 वर्ष का हो जायेगा, परिवार पहचान पत्र के माध्यम से ऐसे पात्र बुजुर्गो की पैंशन बिना किसी आवेदन के अपने आप बन जायेगी और उनके बैंक खाते में स्वत: मासिक बुढापा पैंशन आ जायेगी। यदि ईमानदारी व गंभीरता से इस घोषणा पर अमल होता है तो यह अच्छा कदम होगा और 60 वर्ष की आयु होने पर बुढ़ापा पैंशन बनवाने के लिए लोगों को लालफीताशाही का शिकार नही होना पडेगा। वहीं प्रदेश के वे हजारों बुजुर्ग पैंशन के पात्र होते हुए बुढ़ापा पैंशन से वंचित है, उन्हे भी राहत मिल सकेगी। पर लाख टके का सवाल नीयत व योजना को लागू करने के प्रति ईमनादारी व गंभीरता का है। विद्रोही ने कहा कि जो भाजपा सरकार विगत सात वर्षो में बुजुर्गो को कभी भी समय पर बुढापा पैंशन भत्ता नही दे पाई, ऐसी सरकार 60 वर्ष के होने पर अपने आप बुजुर्गो की पैंशन स्वत: बना देगी, यह सुनने व कहने में अच्छा लगता है। पर इसकी परीक्षा तो 1 मार्च 2022 के बाद ही होगी और सरकार के काम से ही पता चलेगा कि वह इस योजना के प्रति कितनी गंभीर व ईमानदार है। वैसे भाजपा ने अक्टूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसी व्यवस्था करने का वादा किया था। जब भाजपा को अपने 2014 के चुनावी वादे की पूर्ति के लिए स्कीम बनाने में ही सात साल लग गए तो सहज अनुमान लगा ले कि इस योजना को कारगर ढंग से ईमानदारी से लागू करने में भाजपा खट्टर सरकार कितना समय लगा सकती है।
विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर से आग्रह किया कि वे सामाजिक सरोकारों की योजना बुजुर्ग सम्मान भत्ता, दिव्यांग व विधवा पैंशन के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता दिखाकर ऐसी पुख्ता व्यवस्था करे कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन व सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पैंशन व्यवस्था की तरह ही बुजुर्गो, विधवाओं व दिव्यांगों की मासिक पैंशन हर माह नियमित रूप से उनके बैंक खातों में दस तारीख तक अवश्य पहुंच जाये ताकि इन कमजोर तबके के लोगों को समय पर पैंशन मिल सके और उनका जीने का मासिक न बजट डगमगाए।
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