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किसान आंदोलन ख़त्म होने से पहले जाट आंदोलन की आहट से और बढ़ीं भाजपा की मुश्किलें

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नई दिल्ली- पीएम मोदी ने हाल में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया और इसी सत्र में ये क़ानून वापस लिए जा सकते हैं लेकिन किसान आंदोलन अभी ख़त्म नहीं हुआ है और एक साल पूरे होने वाले हैं लेकिन भाजपा की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं क्यू कि अब जाट आंदोलन फिर शुरू होने के संकेत हैं। जाट समाज फिर आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर उतर सकता है। 

जल्द पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में जाट आरक्षण की मांग उठने लगी है जहां जल्द विधानसभा चुनावों की तारीख जा एलान होने वाला है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने जाट आरक्षण को लेकर कल बड़ा ऐलान किया है।  जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा है कि जाट आरक्षण की लड़ाई सड़कों पर नहीं वोट से होगी। 

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 2015-2017 में आरक्षण का वादा किया था। वादा किया है तो निभाना पड़ेगा। जाट समाज अब आरक्षण के लिए राजनीतिक संघर्ष के लिए तैयार हो गया है। उन्होंने कहा कि जाट आरक्षण आंदोलन तो कृषि कानून के विरोध में हुए मूवमेंट से भी बड़ा है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की मेरठ और सहारनपुर मंडल के पदाधिकारियों की बैठक मेरठ में चैपल स्ट्रीट स्थित रेस्टोरेंट में हुई। बैठक में संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार ने जाट समाज के प्रमुख संगठनों, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों की उपस्थिति में केंद्रीय स्तर पर जाट आरक्षण का वादा किया था। 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी विरेंद्र सिंह के आवास पर आरक्षण का भरोसा दिलाया गया था। कल से समित की बैठकें शुरू होने वाली हैं जिनमे अगली रणनीति का एलान किया जाएगा। 


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