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अपने अंदर प्रतिरोधक छमता बढाकर जीत सकते हैं कोरोना से जंग - डॉ. नितेश कुमार

Dr-Nitesh-Kumar-Jha
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Faridabad- कोरोना महामारी की पहली लहर की स्थिति का आंकलन करते हुए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा विभिन्न पहलुओं जैसे, क्या होगा यदि स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जाएगा, स्थितियों को हल्के में लेने के परिणाम, और एहतियाती उपायों का सख्ती से पालन नहीं करने पर। इन सभी  पहलुओं के बीच यह भविष्यवाणी की गयी थी कि अगर इन बातों को सख्ती के साथ पालन नहीं किया गया तो, परिस्थितियां काफी भयावह हो जाएगी । आज कोरोना की दूसरी लहर में सारी अनिश्चितताएं कायम हैं । जिसका डर था वही हो रहा है । कोरोना को लेकर जो भविष्यवाणी की गयी थी आज हम उसी के शिकार हैं । परिस्थितियां कहीं ज्यादा भयानक हैं यह अनुभव  करने, देखने और सुनने को मिल रही है। हममें से कई लोगों ने अपने प्रिय जनों को खोया है। अस्पताल में दवा, ऑक्सीजन और बिस्तर जैसी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी आभाव के बीच हम सामान्यजन संघर्षरत हैं । हर जगह अराजकता और असुरक्षा की स्थिति व्याप्त है। सरकार की स्वास्थ्य पहल की विफलता, प्रयास और उनमें दूरदर्शिता की भारी कमी देखने को मिली है। 

हमारे मन में यह प्रश्न बार-बार उठने लगा है कि ऐसी सरकार और उनकी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं हमारे लिए किस काम की जो दवा और उपचार जैसी मूलभूत आवश्यकता से हमें वंचित होता देखता रहे और हम सभी अपने सगे-सम्बन्धी को खोते रहें ? हमें  देखने वाला कौन है? क्या महामारी से उत्त्पन्न अराजकता अभी भी सरकारी अधिकारियों या नीति निर्माताओं को भविष्य के लिए तैयार होने के लिए प्रेरित किया है? ऐसे तमाम सवाल हैं, जो हममें बेचैनी उत्त्पन्न करते हैं। इन सब परिस्थितियों के बीच कोरोना बीमारी से पीड़ित होकर जो मर रहे हैं वो तो मर ही रहें हैं बांकी जीने वाले भी एक-एक छन्न अनिश्चितताओं के बीच कुंठित होकर मानसिक बिमारियों को बुलावा दे रहें हैं। हममें से कुछ  केवल इन परिस्थितियों से ली इस सीख के साथ जी रहें हैं जो कभी एक वैज्ञानिक, चार्ल्स डार्विन ने अपने "थ्योरी ऑफ एवोल्यूशन" के माध्यम से हमें दिया था, वह है, "सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट"। हम इसे इस तरह समझ सकते हैं कि उचित इलाज या स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में हममें से सिर्फ वही कोरोना जैसी बीमारी से बचे रह सकते हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी। हमें अपने आप में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयाशरत रहना होगा ताकि हम इस अमूल्य जीवन को जीने  में समर्थ हो सकें।

डॉ. नितेश कुमार झा

(मनोवैज्ञानिक, शोध अधिकारी) 


इंक्लेन-सोमार्थ, मित्रोल

औरंगाबाद, पलवल (हरियाणा)

मो. न.- 8725965541

ईमेल- niteshkumar.jha0@gmail.com


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