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कारों व छतों पर पार्टियों के स्थान पर किसान यूनियन के झंडों ने बनाई जगह

Kisan-Union-Flag
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कुरुक्षेत्र राकेश शर्मा- समय के अनुसार क्रेज भी बदलता रहा है। देश में छतों व वाहनों पर झंडे लगाने का पुराने समय से क्रेज रहा है। विभिन्न सरकारों के समय में झंडों का रंग बदलना भी आम बात रही है। जब से तीन कृषि बिलों को वापिस करवाने को लेकर किसान आंदोलन चला है तब से ही गाडियों व छतों पर पार्टियों के झंडों की जगह किसान यूनियनों के झंडों ने ले ली है। हालांकि शुरु में तो ऐसा समय भी आया जब किसान अपनी गाडियों पर किसान यूनियन के झंडे लगाने को ललायित हुए और झंडे उपलब्ध न होने के कारण वंचित रह गए लेकिन धीरे-धीरे झंडों के विक्रेता भी मार्किट में आ गए और आज विभिन्न दुकानों व रेहडियों पर किसान यूनियनों के झंडे बिकना आम बात हो गई है। हालांकि किसान यूनियनों के विभिन्न ग्रुपों ने अपने-अपने झंडे बनवाए हुए हैं लेकिन झंडे खरीदने वाले गु्रपों की ओर ध्यान न देते हुए किसान यूनियन का कोई भी झंडा अपनी गाडियों पर लगा लेते हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी देखा जा रहा है कि विभिन्न पार्टियों के लोग व नेता अपनी कारों व छतों पर पार्टियों के झंडे लगाने से कतरा रहे हैं।

 पार्टियों के स्थान पर आज कारों व छतों पर किसान यूनियन के झंडों ने जगह बना ली है। यह भी नही है कि महंगी कार किसान यूनियनों के झंडों से वंचित रह गई हों। जब से किसानों ने दिल्ली बोर्डर पर अपना डेरा डाला है महंगी कारों पर भी बडे-बडे कपडे के झंडे लगे मिलना आम बात हो गई है। जिन लोगों को कारों पर झंडा लगाने में दिक्कत आ रही हैं, यूट्यूब पर कई ऐसी विडियो हैं जिसमें कारों पर झंडे को लगाने के तरीके बताए गए हैं। इन विडियों को देखकर कारों पर युवा झंडे लगा रहे हैं। बेशक आंदोलन किसानों द्वारा किया जा रहा हो लेकिन शहरों के भी अनेकों लोग अपनी कारों पर किसान यूनियन के झंडे लगाए देखे जा सकते हैं। शहर में रहने वाले लोग कहते सुनाई दे जाते हैं कि आंदोलन किसान ही नही बल्कि हर वर्ग का है। इतना ही नहीं आयोजित होने वाले विवाह समारोहों में भी अनेकों लोग किसान यूनियन के झंडे लगी कारों में सवार होकर शादी अटैंड करने पहुंच रहे हैं।


ऑर्डर पर बनवाते हैं झंडे : अभिजीत

कुरुक्षेत्र में पुराने बस अड्डे के नजदीक सड़क किनारे दुकान लगाकर गर्म वस्त्र बेचने वाले अभिजीत ने अपनी दुकान के ठीक आगे किसान यूनियन के झंडों को रखा हुआ है ताकि आने-जाने वालों को मालूम पड सके कि उसके पास किसान यूनियन के झंडे उपलब्ध हैं। अभिजीत ने जानकारी देते हुए बताया कि जब से किसान आंदोलन चला है वे हजारों झंडे बेच चुके हैं। उन्होने ऑर्डर देकर दिल्ली से किसान यूनियन के झंडे पिं्रट करवाए हैं।

देश का पेट भरने वाले अन्नदाता के साथ : दीपक

युवा दीपक का कहना है कि देश का पेट भरने वाले अन्नदाता को कृषि बिलों से दिक्कत है तो सरकार को भी बिल वापिस लेने चाहिए। दीपक ने कहा कि वे बेशक खेती न करते हों लेकिन उसकी पृष्ठभूमि किसानी है। उसके पिता जी ने खेत में कडी मेहनत कर उसे पढाया लिखाया। उन्होने कहा कि युवाओं में किसान यूनियन के झंडे लगाने का क्रेज बढा है, जोकि अच्छी बात है।

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हरे ओर पीले रंग में प्रचलित हो रहे झंडे

देखने में आ रहा है कि हरे व पीले रंग के किसान यूनियनों के झंडे आम देखे जा सकते हैं। ज्यादातर झंडे हरे रंग के हैं व हिंदी व पंजाबी में झंडों पर भारतीय किसान यूनयिन लिखा आम देखा जा सकता है। गुरनाम सिंह चढूनी गु्रप द्वारा जो झंडे बनवाए गए हैं उसमें भारतीय किसान यूनियन व नीचे चढूनी लिखा हुआ है। इससे साफ हो जाता है कि ये चढूनी गु्रप है।


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