पलवल, 18 अगस्त। सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप ने बताया की बरसात के मौसम मे मलेरिया, डेंगू व चिकिनगुनिया को लेकर विभाग पूर्ण रूप से गंभीर है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के साथ-साथ मलेरिया, डेंगू व चिकिनगुनिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग पैनी नजर बनाए हुए है।
सिविल सर्जन ने बताया कि बारिश मे मच्छरों के पनपने की पूरी-पूरी सम्भावना है। क्योकि बारिश का पानी छोटे- छोटे गड्ढïों में भर जाता है, जिसके कारण मच्छर उस ठहरे हुए पानी मे अंडे देते है, जिससे मलेरिया व डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की बढ़ोतरी तेजी से होती है। इसलिए उन्होंने तुरंत प्रभाव से मलेरिया उन्मूलन की सभी प्रकार की टीमो को ठहरे हुए पानी मे काला तेल व टेमिफोस की दवाई डलवाने के दिशा-निर्देश दिए है, जिससे मच्छरों की उत्पत्ति पर रोक लग सके।
उप-सिविल सर्जन मलेरिया डा. राजीव बातिस ने बताया कि बायोलॉजिस्ट अर्बन पलवल के द्वारा यू.एम.एस की टीमो द्वारा शहर मे लार्वा चेक करने के लिए सर्वे करवाया जा रहा है, जिसमे ब्रीडिंग चेकर, फील्ड वर्कर घर-घर जाकर मलेरिया उन्मूलन सम्बन्धी मच्छर के लार्वा की ब्रीडिंग चेक की जा रही है और ब्रीडिंग पाए जाने पर तुरंत प्रभाव से टीमो द्वारा टेमिफोस की दवाई डलवाकर लार्वा को नष्ट कर दिया जाता है। प्रत्येक रविवार को सभी कर्मचारी अपने कार्य क्षेत्र मे लोगो को ड्राई-डे के रूप मे मनाने के लिए प्रेरित कर रहे है, जिसमे सभी आमजन अपने-अपने क्षेत्र मे कूलर, टंकियों को अच्छी तरह से कपड़े से रगडकऱ साफ कर ले। उन्होंने बताया कि सभी लोगो को रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए व दिन के समय पूरी बाजू के कपडे पहनने चाहिए, जिससे मच्छर के काटने से बचा जा सके।
आमजन को जागरूक करने के लिए सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि मलेरिया के शुरूआती लक्षणों मे तेज ठंड के साथ बुखार आना, सिर दर्द होना व उल्टियो का आना है। इसलिए कोई भी बुखार आने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर मलेरिया की जांच करवाए और अगर मलेरिया जांच मे पाया जाता है तो उसका 14 दिन का ईलाज स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख मे करे।
मलेरिया के मुख्य लक्षण
सर्दी व कपकपी के साथ तेज बुखार का होना व सिरदर्द होना एवं गंभीर मामलो मे उल्टियां होना।
मलेरिया का उपचार व बचाव
कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है इसलिए बुखार होने पर अपने नजदीक स्वास्थ्य केन्द्र में तुरन्त खून की जांच कराएं। मलेरिया होने पर तुरन्त 14 दिन का पूर्ण आमूल उपचार स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख मे लें। क्योकि आमूल उपचार न लेने से मलेरिया बुखार बार-बार होता है। मलेरिया बुखार बार-बार होने से खून की कमी हो जाती है जोकि बहुत घातक होती है। घरो में मच्छरनाशक दवाई का छिडकाव करवाएं। मच्छरदानी का प्रयोग करें। पूरी बाजू के कपडें पहने। घर के आस-पास पानी इक_ïा न होने दे। बरसात का मौसम शुरु होने से पहले घर के आस-पास के गड्ढïों को भर दिया जाए ताकि बरसात का पानी इक_ïा न होने पाए, जिसमे मच्छर पनपते है।
डेंगू व चिकिनगुनिया का उपचार व बचाव
डेंगू व चिकिनगुनिया फैलाने वाला मच्छर ऐडीज दिन में काटता है व रुके हुए साफ पानी में ही पनपता है।
डेंगू के लक्षण
अकस्मात तेज बुखार का होना, अचानक तेज सिर दर्द होना, मांसपेशियों तथा जोड़ो मे दर्द होना, आंखों के पीछे दर्द होना, जोकि आंखों को घुमाने से बढ़ता है।
चिकिनगुनिया के लक्षण
बुखार के साथ जोड़ो में दर्द व सूजन होना, कपकपी व ठंड के साथ बुखार का अचानक बढऩा, सिर दर्द होना।
क्या करे
घरो के आस-पास गड्ढïों को मिट्टïी से भरवा दें। अपने कूलर, हौदी या पानी से भरे हुए बर्तन सप्ताह में एक बार अवश्य खाली करे व कपडे से अच्छी तरह से रगडकऱ साफ करके प्रयोग करें। शरीर को ढककर रखे और मच्छररोधी दवा या क्रीम व कीटनाशक दवाई से उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करे एवं पूरी बाजू के वस्त्र पहने। छतो पर रखी पानी की टंकियो को ढक्कन लगाकर बंद रखे। बुखार आने पर डाक्टर की सलाह अवश्य ले।
घरो के आस-पास गड्ढïों को मिट्टïी से भरवा दें। अपने कूलर, हौदी या पानी से भरे हुए बर्तन सप्ताह में एक बार अवश्य खाली करे व कपडे से अच्छी तरह से रगडकऱ साफ करके प्रयोग करें। शरीर को ढककर रखे और मच्छररोधी दवा या क्रीम व कीटनाशक दवाई से उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करे एवं पूरी बाजू के वस्त्र पहने। छतो पर रखी पानी की टंकियो को ढक्कन लगाकर बंद रखे। बुखार आने पर डाक्टर की सलाह अवश्य ले।
क्या न करे
स्वयं दवा न खाएं - एसप्रीन, ब्रुफिन दवाइयो का सेवन न करें। घरो के आस-पास के गड्ढïों मे 7 दिन से ज्यादा पानी इक_ा न होने दे। पुराना सामान जैसे टायर, ट्यूब, खाली डिब्बे, पॉलिथीन के लिफाफे खुले मे न फेंके ताकि बरसात का पानी उन्मे न भरे। यदि कूलर प्रयोग मे नही लाया जा रहा है तो उसमे पानी इक_ा न होने दे। हैण्डपंप या नल के आस-पास पानी जमा न होने दें। टायर, ट्यूब, खाली डिब्बे खुले मे न छोड़े, पानी ठहरेगा जहां मच्छर पनपेगा वहां।
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