चंडीगढ़: किसी नेता के पास जब सत्ता रहती है वो उसके हाव भाव ही अलग रहते हैं। आगे पीछे सुरक्षाकर्मी, सरकारी बँगला, आलीशान गाड़ी और हवाई जहाज से देश विदेश आने जाने का भी मौका मिलता है लेकिन हार के बाद जब उनके पास से सत्ता चली जाती है तो उन्हें बहुत दुःख होता है। तन्हाई क्या होती है इन नेताओं को तब पता चलता है जब सभी सुख सुविधाएँ उनके छीन ली जाती हैं। हरियाणा के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए जिनमे 8 मंत्री भी शामिल थे। कई सीएम मनोहर लाल ने इन पूर्व मंत्रियों के साथ बैठक की। सभी मंत्रियों ने सीएम को अपनी हार के जख्म दिखाए और अपनी पीड़ा बताई। वो चुनाव कैसे हारे इस पर चर्चा हुई। वो चुनाव क्यू हारे इस पर भी चर्चा हुई। बैठक में अधिकांश पूर्व मंत्रियों ने 75 से अधिक सीटें जीतने के नारे पर भी सवाल उठाए। कइयों ने कहा कि हम जमीनी हकीकत नहीं जान पाए।
अधिकांश मंत्रियों ने कहा कि वर्करों पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। वर्कर पार्टी की रीढ़ होते हैं, ऐसे में हमें भविष्य में भी ध्यान रखना चाहिए। पूर्व शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने भी अपनी पीड़ा बताई लेकिन उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए कहा कि अब हमें आगे के बारे में सोंचना चाहिए। इन चुनावों में भाजपा को 40 सीटें मिली हैं और 50 पर हार का मुँह देखना पड़ा है।
अब भाजपा इन 50 सीटों पर मंथन करेगी कि आखिर हम यहाँ क्यू हारे। वैसे हरियाणा अब तक के पाठकों को पता है कि हमने राजस्थान और मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ चुनावों के बाद ही कहा था कि हरियाणा की जनता खट्टर सरकार से खुश नहीं है। तमाम नेताओं मंत्रियों के कामकाज से खुश नहीं है और तमाम मंत्रियों में घमंड आ चुका है जैसा घमंड राजस्थान की महारानी में था वैसा हरियाणा के सीएम में देखा जा रहा है। उस समय आपने वो लेख पढ़ा होगा लेकिन भाजपा नेताओं ने खुद को नहीं बदला, नतीजा राजस्थान जैसा ही निकला। पूर्ण बहुमत नहीं मिली। जजपा के साथ मिलकर सरकार बनानी पडी। अब विपक्षी दल कांग्रेस जमीन पर दिखेगा। अगली बार की राह आसान करने के लिए भाजपा को प्रदेश का रिकार्ड विकास करवाने पड़ेंगे और घमंड से दूर रहना पडेगा साथ में नेताओं को अपनी जुबानों पर लगाम लगाना पड़ेगा।
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