फरीदाबाद: 27 फरवरी को हरियाणा विधानसभा में पारित विधेयक के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट (पीएलपीए) पर रोक लगाई थी लेकिन रोक के बाद भी अरावली पर निर्माण जारी है। बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर का कहना है कि मैंने अधिकारियों को आइना दिखाया जिसके बाद सूरजकुंड थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई है जो पीएलपीए का उल्लंघन कर रहा था। ये एफआईआर वन विभाग की इंस्पेक्टर ने दर्ज करवाया है जो मेवला महाराजपुर के किसी बलजीत के ऊपर दर्ज है। एफआईआर नंबर 129 में कहा गया है कि बलजीत अरावली पर अवैध निर्माण करवा रहा था और पीएलपीए का उल्लंघन कर रहा था। ये एफआईआर हरियाणा सरकार के गाल पर एक तमाचा है जो अरावली को तवाह करने पर तुली थी। उन्होंने कहा कि मैंने रविवार को भी अरावली का दौरा किया और रविवार को भी मैंने अरावली पर निर्माण होते देखा जिसे देख मुझे लगा कि बड़े माफियाओं पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। वो अब भी धड़ल्ले से अवैध निर्माण करवा रहे हैं।
पाराशर ने कहा कि लगभग 120 साल पहले ये ऐक्ट इसलिए लाया गया था ताकि दिल्ली एनसीआर की जनता को प्रदूषण से बचाया जाए लेकिन दो दशकों से खनन माफियाओं ने अरावली को बर्बाद कर दिया और कई पहाड़ बेंचकर खा गए। पाराशर ने कहा अगर अरावली उजाड़ दी गई तो राजस्थान के रेगिस्तान की आंधियां एनसीआर में भारी तबाही मचा सकती हैं क्योंकि इन धूल भरी आंधियों से बचाव करने को प्राचीनतम अरावली पर्वतमाला यहां है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने कुछ नहीं सोंचा बस अरावली को उजाड़ने का विधेयक पास कर दिया। उन्होंने कहा कि रविवार उन्होंने अरावली पर चल रहे जितने भी अवैध निर्माण देखे हैं सभी सबूत सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे और कोर्ट को बताएँगे कि अब भी वहां अवैध निर्माण चल रहे हैं।
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